छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव में भले ही कांगे्रस और भाजपा सत्ता के लिए जोड़ तोड़ में लग गये हो पर सच तो यह है कि दोनों ही दलों के लिए राह आसान नहीं है। स्वाभिमान मंच की बढ़ती ताकत से उन्हें भीतर तक हिला दिया है। सत्ता के लिए जादुई आंकड़े 46 पाना न तो भाजपा के लिए आसान है और न ही कांग्रेस के लिए ही आसान है।
प्रदेश के मुखिया रमन सिंह के लिए मुश्किल तभी से शुरू हो गया था जब भटगांव कोल ब्लॉक की कालिख भाजपा के तत्कालिन अध्यक्ष नीतिन गडकरी के चहेते संचेती ब्रदर्स के जटिये उन तक पहुंचने लगा था। भाजपा भले ही अपने मुखिया को साफ सुधरा बताये लेकिन कोल ब्लॉक कालिख से वह बच नहीं सकी है। रोगदा बांध एक उद्योग को बेचने के मामले में भी वह जनता के सामने निरूत्तर है जबकि इंदिरा बैंक घोटाले की नार्को सीडी ने तो सरकार के सभी दमदार मंत्रियों पर कालिख पो ही दी। भले ही सरकार हैट्रिक के सपने देख रही हो। सुराज से लेकर विकास का दावा कर रही हो पर सच तो यह है कि प्रशासनिक आतंक और भ्रष्टाचार से आम आदमी त्रस्त है।
किसानों की जमीनों को लेकर सरकार के दो मुंहे रवैये से जहां किसान नाराज है यहीं आरक्षण कटौति को लेकर सतनामी समाज की नाराजगी खुलकर सामने आ गई है। भाजपा की गुटबाजी भी सतह तक पहुंच गई है ऐसे में सिर्फ नरेन्द्र मोदी के सहारे सत्ता का सपना कैसे पूरा होगा कहना कठिन है।
कांग्रेस की गुटबाजी और अंर्तकलह के चलते कांग्रेस की राह भी मुश्किल हो गई है। उपर से रमन सरकार से नूरा कुश्ती और सेंटिंग की खबर ने आम कार्यकर्ताओं को हताशा के सिवाय कुछ नहीं मिल रहा है। जीरम घाटी से लेकर नार्को सीडी और संचेती से लेकर अदानी ग्रुप के मामले में कांग्रेस आक्रामक होने से बाचती रही है। अपनी सीट के चक्कर में सरकार से सौदे की खबर ने छोटे व नये टिकिटार्थीयों की राह कठिन कर दिया है। हालत यह है कि जोगी-वोरा-महंत, चौबे और न जाने कितने गुटों में बंटी कांग्रेस सरकार के करतुतों पर जुबान खोलने की बजाय आपस में ही विष दमन में मशगुल है।
भाजपा और कांग्रेस क इसी करतुत के चलते छत्तीसगढ़ में तीसरी ताकत को समर्थन मिलने लगा है। पहले से ही दो सीटों पर कब्जा जमाने वाली बसपा ही नहीं स्वाभिमान मंच को भी लोगों को जबरदस्त समर्थन मिलने लगा है। स्वाभिमान मंच का दावा है कि सत्ता की चाबी उसके पास ही रहेगी और वह कांग्रेस भाजपा को 30-30 सीटों से आगे नहीं बढऩे देगी ऐसे में बसपा ने भी अपनी सीटें बढ़ा ली तो कांग्रेस भाजपा की राह कठिन हो जायेगी।
वैसे भी जिस तरह से आरटीआई कानून, अपराधियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस और भाजपा ने एका दिखाई है उससे नये राजनैतिक हालात बन रहे है। अब तो आम लोग भी कहने लगे है चोर-चोर मौसेटे भाई...!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें